सोमवार, 6 मई 2013

जो होता है वह नजर आ ही जाता है...



जो होता है वह नजर आ ही जाता है
----------------------------------------

सूरज अपने प्रकाश का विज्ञापन नहीं देता
चन्द्रमा के पास भी चांदनी का प्रमाणपत्र नहीं होता!

बादल कुछ पल, कुछ घंटे , कुछ दिन  ही
ढक सकते हैं ,रोक सकते हैं
प्रकाश को , चांदनी को ...

बादल के छंटते ही नजर आ जाते हैं
अपनी पूर्ण आभा के साथ पूर्ववत!

टिमटिमाते तारे भी कम नहीं जगमगाते
गहन अँधेरे में जुगनू की चमक भी कहाँ छिपती है!

जो होता है वह नजर आ ही जाता है देर -सवेर
बदनियती की परते  उतरते ही ! 
(या मुखौटों के खोल उतरते ही !!)